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Siddhant
Jayati Jaya, Jaya Sadguru Maharaj
Nisar
Nisar
February 27, 2022
1 min
जयति जय , जय सदगुरु महराज |
छके युगल रस रास सरस जनु, मूर्तिमान रसराज |
बिनु कारण करुणाकर जाकर, अस स्वभाव भल भ्राज |
बरबस पतितन देत प्रेमरस , अस रसिकन सरताज |
डूबत आपु डुबावत जन कहँ , प्रेमसिंधु - ब्रजराज |
हौं ' कृपालु ' गुरुचरण शरण गहि, भयोे धन्य जग आज ||

Hindi Meaning

गुरुदेव की जय हो, जय हो | प्रेमानन्द में निमग्न गुरुदेव मानो श्यामा श्याम के मूर्तिमान रसावतार ही हैं | उनका सहज स्वभाव ही है अकारण करुणा करके जीवोद्धार करना | गुरुदेव ऐसे रसिक शिरोमणि हैं कि पतितों को भी हठात् प्रेमानन्द प्रदान कर देते हैं उस रस में स्वयं भी डूब जाते हैं साथ ही शरणागत शिष्य को भी डुबा देते हैं | ’ कृपालु ’ कहते हैं मैं तो उन सद्गुरु के चरणों की शरण ग्रहण करके आज धन्य हा गया |

English Meaning

Glory to Gurudev, Jai Ho. Gurudev immersed in Premanand as if he himself is a rasavatar incarnation of Radha Krishna. Out of his compassion, he gives prem ras to the fallen. He drowns himself in prem ras as well as drowns the others. ‘Kripalu’ says, I have been blessed today by taking refuge at the feet of Sadguru.


Tags

#Kripalu Ji Maharaj#Sadguru Madhuri
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